भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू होने के बाद से कई बार इसमें बदलाव किए गए हैं। लेकिन हाल ही में सरकार द्वारा किए गए नए सुधारों ने ऑटोमोबाइल सेक्टर में हलचल मचा दी है। यह बदलाव न केवल गाड़ियों की कीमतों पर असर डालने वाला है, बल्कि उपभोक्ताओं के खरीदारी के फैसलों को भी दिशा देगा। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि सरकार के इस फैसले का क्या मतलब है, इसका असर किन-किन गाड़ियों पर पड़ेगा और आखिरकार इसका लाभ किसे मिलेगा।
जीएसटी में नया बदलाव क्या है?
सरकार ने हाल ही में 56वीं जीएसटी काउंसिल बैठक में बड़ा फैसला लिया है। पहले गाड़ियों पर अलग-अलग टैक्स और सेस का बोझ होता था। लेकिन अब टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाते हुए केवल तीन श्रेणियों में बांटा गया है:
- 5% जीएसटी – छोटे वाहनों और टू-व्हीलर के लिए।
- 18% जीएसटी – ज्यादातर सामान्य श्रेणी के सामान और सेवाओं के लिए।
- 40% जीएसटी – लग्जरी और हाई-एंड गाड़ियों के लिए।
इस बदलाव के बाद से पुराने सिस्टम में जो सेस लगाया जाता था, वह अब पूरी तरह खत्म हो गया है। यानी अब गाड़ियों पर केवल जीएसटी लगेगा।
छोटे वाहनों पर राहत
भारतीय मध्यम वर्ग लंबे समय से बढ़ती कार कीमतों की वजह से परेशान था। खासकर छोटी कारों और एंट्री-लेवल मॉडलों की कीमत लगातार बढ़ रही थी। नए टैक्स ढांचे के तहत:
- चार मीटर से कम लंबाई वाली कारें।
- 1200 सीसी तक के पेट्रोल इंजन या 1500 सीसी तक के डीजल इंजन वाली कारें।
इन पर कम टैक्स लगाया जाएगा। इससे न केवल कारें सस्ती होंगी बल्कि दोपहिया वाहन खरीदने वालों को भी फायदा मिलेगा। यह फैसला सीधा मिडिल क्लास फैमिली को राहत देने वाला है।
लग्जरी और SUV गाड़ियां होंगी महंगी
जो लोग प्रीमियम सेडान, लग्जरी कार या बड़ी SUV खरीदने की सोच रहे हैं, उनके लिए अब कीमतों में बढ़ोतरी होना तय है।
- चार मीटर से बड़ी लंबाई और 1200 सीसी से ज्यादा पेट्रोल इंजन।
- 1500 सीसी से बड़े डीजल इंजन।
इन वाहनों पर अब सीधे 40% जीएसटी लगेगा। इसका असर BMW, Mercedes, Audi जैसी हाई-एंड कंपनियों की गाड़ियों पर तो होगा ही, साथ ही Toyota Fortuner और Mahindra XUV700 जैसी पॉपुलर SUV भी महंगी होंगी।
पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था का फर्क
पहले गाड़ियों पर 28% जीएसटी लगता था। इसके अलावा इंजन क्षमता और बॉडी टाइप के हिसाब से 1% से 22% तक का सेस भी जुड़ता था। यानी एक गाड़ी की कीमत पर टैक्स का बोझ काफी ज्यादा था।
- पुराना सिस्टम: 28% जीएसटी + 1% से 22% सेस।
- नया सिस्टम: 5%, 18% और 40% के तीन स्लैब, बिना किसी सेस के।
इससे टैक्स स्ट्रक्चर न केवल पारदर्शी हुआ है बल्कि उपभोक्ता के लिए भी आसानी से समझने योग्य बन गया है।
इलेक्ट्रिक वाहनों पर असर
इलेक्ट्रिक वाहनों को पहले से ही सरकार ने बढ़ावा दिया हुआ है। पहले इन पर केवल 5% जीएसटी लगता था और अब भी यही दर बनी हुई है। इसका मतलब है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियां अब भी अपेक्षाकृत सस्ती रहेंगी। यह सरकार की ग्रीन मोबिलिटी को प्रोत्साहन देने की नीति के अनुरूप है।
मध्यम वर्ग के लिए उम्मीद की किरण
हालांकि लग्जरी गाड़ियों की कीमतें बढ़ेंगी, लेकिन मध्यम वर्गीय उपभोक्ताओं को इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि उनका फोकस छोटी और मिड-रेंज कारों पर होता है। टैक्स में कमी के चलते:
- नई गाड़ियां खरीदना आसान होगा।
- पुराने वाहनों की जगह नए मॉडल लेने की प्रवृत्ति बढ़ेगी।
- टू-व्हीलर और कॉम्पैक्ट कारों की डिमांड और ज्यादा बढ़ सकती है।
यह सुधार न सिर्फ उपभोक्ता बल्कि पूरे ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर में नए समीकरण
नए जीएसटी ढांचे के कारण:
- छोटी गाड़ियों की बिक्री में तेजी आने की उम्मीद है।
- लग्जरी गाड़ियों की डिमांड थोड़ी धीमी हो सकती है।
- इलेक्ट्रिक गाड़ियां धीरे-धीरे और लोकप्रिय होंगी।
- मैन्युफैक्चरर्स को अब ज्यादा पारदर्शी और स्पष्ट टैक्स स्ट्रक्चर का लाभ मिलेगा।
कुल मिलाकर, यह बदलाव इंडस्ट्री में एक नए संतुलन को जन्म देगा।
निष्कर्ष
सरकार के नए जीएसटी सुधार ने गाड़ियों के बाजार में बड़ा बदलाव कर दिया है। जहां एक तरफ मिडिल क्लास के लिए छोटी कारें और टू-व्हीलर सस्ते हो गए हैं, वहीं लग्जरी गाड़ियों के शौकीनों को अब ज्यादा कीमत चुकानी होगी। लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा यही है कि टैक्स स्ट्रक्चर सरल और साफ हो गया है।
इस सुधार से ग्रीन मोबिलिटी, छोटे वाहनों की बिक्री और ऑटोमोबाइल सेक्टर में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा। आने वाले समय में यह फैसला भारत के वाहन उद्योग को नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है।
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