पंजाबी सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ का नाम सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है। उनकी आवाज़ और अभिनय ने उन्हें ग्लोबल स्टार बना दिया है। लेकिन स्टारडम के साथ विवाद भी आते हैं। हाल ही में उनकी फिल्म सरदारजी 3 और भारत-पाकिस्तान मैच को लेकर दिए गए बयानों ने काफी सुर्खियां बटोरीं।
सोशल मीडिया से लेकर मीडिया चैनलों तक, हर जगह उनके शब्दों पर चर्चा हो रही है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि यह पूरा विवाद क्या था, दिलजीत ने क्या कहा और इसका दर्शकों व उनके करियर पर क्या असर पड़ सकता है।
सरदारजी 3 विवाद की पृष्ठभूमि
दिलजीत दोसांझ की फिल्म सरदारजी 3 साल 2025 की शुरुआत में ही चर्चा में आ गई थी। फिल्म की शूटिंग फरवरी में पूरी हुई थी, लेकिन जैसे ही इसमें पाकिस्तानी अभिनेत्री हानिया आमिर की मौजूदगी सामने आई, बवाल शुरू हो गया।
भारत-पाक संबंध हमेशा से संवेदनशील रहे हैं और जब भी दोनों देशों के बीच कोई तनाव होता है, इसका असर कलाकारों पर भी पड़ता है। पहलगाम में हुए हमले के बाद लोगों का गुस्सा चरम पर था और इसी बीच सरदारजी 3 रिलीज़ हुई। इस कारण फिल्म को ट्रोलिंग और बायकॉट का सामना करना पड़ा। कई जगह दिलजीत पर देशविरोधी होने तक के आरोप लगाए गए।
दिलजीत दोसांझ का कंसर्ट से जवाब
दिलजीत ने इस पूरे विवाद पर लंबे समय तक चुप्पी साधी। लेकिन हाल ही में मलेशिया में हुए अपने कॉन्सर्ट के दौरान उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में वे भारत के झंडे को सलाम करते हुए नजर आए और उन्होंने कहा कि “वो मेरे देश दा झंडा है, इसके लिए हमेशा सम्मान रहेगा।”
इसके बाद उन्होंने भीड़ से अनुमति लेते हुए कहा कि वे कुछ शब्द कहना चाहते हैं। उन्होंने साफ कहा कि उनकी फिल्म की शूटिंग उस घटना से पहले पूरी हो चुकी थी, इसलिए इस पर सवाल उठाना गलत है। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर कोई आपके खिलाफ जहर उगलता है तो उसे खुद के भीतर नहीं लेना चाहिए। यह बात उन्होंने अपने जीवन का अनुभव बताते हुए कही।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
दिलजीत के बयान के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कुछ लोग उनके समर्थन में सामने आए और कहा कि मीडिया अक्सर पंजाब और पंजाबी कलाकारों की छवि को गलत तरीके से पेश करता है। वहीं, कुछ लोगों ने यह भी कहा कि दिलजीत को पहले ही स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए थी ताकि विवाद इतना न बढ़ता।
भारत-पाकिस्तान मैच पर उठे सवाल
दिलजीत दोसांझ ने सिर्फ अपनी फिल्म पर ही नहीं, बल्कि भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच पर भी सवाल उठाए। उन्होंने इशारा किया कि जब फिल्मों में पाकिस्तानी कलाकारों की भागीदारी पर इतना हंगामा होता है तो फिर खेल के मैदान में इस तरह की साझेदारी पर सवाल क्यों नहीं उठाए जाते?
उनका कहना था कि विरोध और समर्थन को लेकर समाज में दोहरी मानसिकता नहीं होनी चाहिए। अगर कला और खेल को अलग मानकर देखा जाता है, तो फिर कलाकारों पर इतना सख्त रवैया क्यों अपनाया जाता है?
मीडिया और पंजाब की छवि
दिलजीत ने मीडिया पर भी आरोप लगाया कि वह हमेशा पंजाब की छवि को गलत तरीके से पेश करता है। उनका कहना था कि पंजाबियों ने हमेशा देश के लिए योगदान दिया है और वे कभी भी देशविरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं होते। यह बयान पंजाब की जनता के लिए भी गौरव का विषय बना, क्योंकि दिलजीत ने बड़े मंच से उनकी भावनाओं को आवाज़ दी।
दिलजीत दोसांझ का अंतर्राष्ट्रीय करियर
पिछले कुछ सालों में दिलजीत दोसांझ का करियर सिर्फ बॉलीवुड तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने हॉलीवुड तक अपनी पहचान बनाई और दुनिया भर में उनके कॉन्सर्ट्स हाउसफुल होते हैं। उनकी फैन फॉलोइंग केवल पंजाबी या भारतीय दर्शकों तक सीमित नहीं है, बल्कि वे इंटरनेशनल ऑडियंस के भी पसंदीदा हैं।
इसी कारण, जब वे किसी विवाद में फंसते हैं तो यह केवल भारत तक की चर्चा नहीं होती बल्कि ग्लोबल स्तर पर भी खबर बनती है। उनके लिए यह चुनौती और भी बड़ी हो जाती है कि वे हर जगह अपनी सकारात्मक छवि बनाए रखें।
सरदारजी 3 फिल्म पर प्रभाव
विवाद का असर सरदारजी 3 पर भी पड़ा। फिल्म के बायकॉट की मांगों के बीच इसका प्रमोशन चुनौतीपूर्ण हो गया। हालांकि, दिलजीत के प्रशंसकों ने उनका समर्थन किया और फिल्म देखने पहुंचे। ट्रेड एनालिस्ट्स का मानना है कि विवादों का असर शॉर्ट टर्म में नकारात्मक जरूर पड़ा, लेकिन लंबे समय में इसने फिल्म को चर्चा में बनाए रखा।
दर्शकों की राय और विश्वास
किसी भी कलाकार के लिए सबसे बड़ी पूंजी उसका दर्शक वर्ग होता है। दिलजीत ने जिस तरह से खुले मंच पर देश के झंडे को सम्मान दिया और साफ शब्दों में कहा कि वे कभी भी देश के खिलाफ नहीं जा सकते, उसने उनके फैंस के बीच विश्वास और मजबूत किया। लोगों को यह महसूस हुआ कि वे अपनी कला के जरिए मनोरंजन तो करते हैं, लेकिन देशभक्ति उनके दिल में सबसे ऊपर है।
भारत-पाक संबंध और कला की भूमिका
भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं। लेकिन कला और खेल ऐसे माध्यम हैं, जो दोनों देशों के लोगों को जोड़ सकते हैं। सवाल यही है कि क्या इन क्षेत्रों में साझेदारी को रोक देना सही है या फिर इसे एक पुल की तरह इस्तेमाल करना चाहिए?
दिलजीत दोसांझ का बयान इसी बहस को हवा देता है। उनका कहना है कि अगर खेल को राजनीति से अलग रखा जा सकता है तो कला को क्यों नहीं? यह सवाल आने वाले समय में और भी चर्चा का विषय बन सकता है।
निष्कर्ष
दिलजीत दोसांझ का सरदारजी 3 विवाद और भारत-पाक मैच पर बयान केवल एक कलाकार की राय नहीं है, बल्कि यह समाज और राजनीति के बीच चल रही बहस का हिस्सा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे हमेशा अपने देश का सम्मान करते हैं और किसी भी परिस्थिति में देश के खिलाफ नहीं जा सकते। साथ ही, उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि कलाकारों और खिलाड़ियों के लिए अलग-अलग मानदंड क्यों बनाए जाते हैं।
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर साबित किया कि दिलजीत सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि अपनी सोच और विचारों से लोगों को प्रभावित करने वाले शख्सियत भी हैं।
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