Shah RuKh Khan And Aamir Khan: बॉलीवुड की दुनिया में कई बार ऐसा होता है कि फिल्में उन सितारों तक नहीं पहुँच पातीं, जिनके लिए पहले लिखी जाती हैं। कभी कलाकार तारीख़ों की समस्या के कारण फिल्म छोड़ देते हैं, तो कभी उन्हें कहानी या किरदार पसंद नहीं आता। ऐसी ही एक दिलचस्प कहानी है 2001 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘नायक: द रियल हीरो’ की, जिसे लेकर आज भी चर्चाएँ होती हैं।
Shah RuKh Khan And Aamir Khan Rejected Film: कम ही लोग जानते हैं कि इस फिल्म के लिए पहली पसंद शाहरुख खान और आमिर खान थे। दोनों सितारों को एक दिन के मुख्यमंत्री बनने का किरदार निभाने का मौका मिला था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। इस फैसले ने न सिर्फ फिल्म के इतिहास को नया मोड़ दिया, बल्कि अनिल कपूर के करियर को भी नई ऊँचाई दी।
‘नायक’ फिल्म की कहानी और सफलता
‘नायक: द रियल हीरो’ एक राजनीतिक ड्रामा थी, जिसमें आम आदमी के सत्ता तक पहुँचने और सिस्टम से सीधा टकराने की कहानी दिखाई गई। फिल्म में दिखाया गया कि कैसे एक पत्रकार को एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बना दिया जाता है और वह उस दौरान सिस्टम में छुपे भ्रष्टाचार और कमियों को सामने लाता है। इस प्रयोग के बाद जनता का समर्थन उसे एक स्थायी मुख्यमंत्री बना देता है।
यह फिल्म तमिल फिल्म ‘मुदलवन’ का हिंदी रीमेक थी, जिसे एस. शंकर ने डायरेक्ट किया था। तमिल वर्ज़न में अरविंद स्वामी लीड रोल में थे। हिंदी संस्करण में अनिल कपूर और रानी मुखर्जी की जोड़ी दर्शकों को काफी पसंद आई। फिल्म के गाने, संवाद और अनिल कपूर की दमदार एक्टिंग ने दर्शकों के दिल में खास जगह बनाई।
शाहरुख और आमिर को क्यों ऑफर हुआ था रोल?
उस दौर में शाहरुख खान और आमिर खान दोनों ही बड़े सितारे थे। शाहरुख ने रोमांटिक फिल्मों से अपनी खास पहचान बना ली थी, वहीं आमिर को ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ का खिताब मिल चुका था। मेकर्स चाहते थे कि इस फिल्म का चेहरा ऐसा हो, जो बॉक्स ऑफिस पर भीड़ खींच सके और किरदार की गंभीरता को भी निभा सके। इसलिए ये रोल सबसे पहले शाहरुख और आमिर को ऑफर हुआ।
क्यों नहीं बनी बात शाहरुख के साथ?
शाहरुख खान उस समय कई बड़े प्रोजेक्ट्स में व्यस्त थे। खासतौर पर वे अपनी फिल्म ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’ की शूटिंग में बिजी थे। यह भी एक राजनीतिक व्यंग्य फिल्म थी। माना जाता है कि उसी तरह की थीम होने की वजह से शाहरुख ने ‘नायक’ को साइन नहीं किया। हालांकि उन्होंने बाद में अनिल कपूर को इस रोल के लिए बधाई दी और कहा कि यह किरदार उन्हीं के लिए बना था।
आमिर खान ने क्यों ठुकराया ऑफर?
आमिर खान हमेशा स्क्रिप्ट और कहानी को लेकर बेहद सतर्क रहते हैं। निर्देशक शंकर ने जब आमिर को इस फिल्म का आइडिया सुनाया, तो वे इससे बहुत प्रभावित नहीं हुए। उनका मानना था कि ‘एक दिन का मुख्यमंत्री’ बनने वाला विचार दर्शकों को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाएगा। इसी सोच के चलते उन्होंने भी इस प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ाया।
अनिल कपूर बने ‘नायक’
जब शाहरुख और आमिर इस फिल्म का हिस्सा नहीं बने, तब मेकर्स ने अनिल कपूर को चुना। यह फैसला उनके करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। अनिल कपूर ने इस रोल को इतनी गंभीरता और जोश के साथ निभाया कि दर्शक आज भी उन्हें ‘नायक’ के रूप में याद करते हैं। अनिल कपूर ने खुद सोशल मीडिया पर साझा किया था कि यह किरदार उनके जीवन का अहम हिस्सा है और वे आभारी हैं कि उन्हें यह अवसर मिला।
शाहरुख का अनिल को सपोर्ट
दिलचस्प बात यह है कि भले ही शाहरुख ने यह फिल्म नहीं की, लेकिन उन्होंने अनिल कपूर को पूरा सपोर्ट दिया। ‘नायक’ की ऑडियो लॉन्च के समय शाहरुख खुद पहुंचे थे और उन्होंने कहा था कि वे अपने दोस्त अनिल को शुभकामनाएँ देने आए हैं। उन्होंने खुले दिल से यह भी कहा कि यह रोल अनिल कपूर के लिए ही बना था। शाहरुख का यह जेस्चर फैंस को भी बहुत पसंद आया।
अगर शाहरुख या आमिर होते तो?
सोचने वाली बात है कि अगर यह फिल्म शाहरुख या आमिर में से किसी एक ने की होती, तो शायद इसका असर अलग होता। शाहरुख के रोमांटिक अंदाज़ और आमिर की परफेक्शनिस्ट एक्टिंग ने किरदार को अलग रंग दे सकते थे। लेकिन अनिल कपूर की इमेज और उनकी गंभीर अदाकारी ने इस रोल को वो असली वजन दिया, जो शायद और किसी के लिए मुमकिन नहीं था।
‘नायक’ का सिनेमा पर असर
‘नायक’ भले ही बॉक्स ऑफिस पर बहुत बड़ी हिट साबित नहीं हुई, लेकिन इसने भारतीय सिनेमा में राजनीतिक फिल्मों की एक नई राह दिखाई। इसके बाद कई फिल्में बनीं, जिनमें राजनीति और आम आदमी की लड़ाई को दर्शाया गया। आज भी जब राजनीतिक ड्रामा फिल्मों की बात होती है, तो ‘नायक’ का ज़िक्र ज़रूर होता है।
निष्कर्ष
फिल्मों की दुनिया में अक्सर ऐसे किस्से सामने आते हैं, जब बड़े सितारे किसी ऑफर को मना कर देते हैं और वही किरदार किसी दूसरे कलाकार के लिए मील का पत्थर साबित हो जाता है। ‘नायक’ भी ऐसी ही कहानी है। शाहरुख और आमिर ने यह फिल्म छोड़ दी, लेकिन अनिल कपूर ने इसे अपनी ज़िंदगी का यादगार रोल बना लिया। आज भी यह फिल्म दर्शकों के बीच चर्चा में रहती है और साबित करती है कि कभी-कभी सितारों का इनकार ही किसी दूसरे के लिए बड़ी सफलता का दरवाज़ा खोल देता है।
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