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GST कटौती से इलेक्ट्रिक कारों पर असर: क्या धीमी होगी भारत की EV इंडस्ट्री?

On: August 22, 2025 10:19 PM
Electric car charging at station beside a red hatchback

भारत में ऑटोमोबाइल सेक्टर हमेशा से आर्थिक नीतियों और टैक्स सुधारों का बड़ा हिस्सा रहा है। हाल ही में सरकार द्वारा प्रस्तावित GST सुधारों ने एक बार फिर ऑटो सेक्टर को चर्चा के केंद्र में ला दिया है। खासकर इलेक्ट्रिक वाहन (EV) इंडस्ट्री के लिए ये बदलाव कई सवाल खड़े कर रहे हैं। प्रस्तावित सुधारों के अनुसार, GST स्लैब्स को सरल बनाकर केवल दो श्रेणियों में बांटा जाएगा – 5% और 18%। इस बदलाव से छोटी पेट्रोल और डीजल कारों के दाम कम होंगे, लेकिन इलेक्ट्रिक कारों का जो प्राइस एडवांटेज अब तक था, वह घट सकता है। यही वजह है कि विशेषज्ञ मान रहे हैं कि EV इंडस्ट्री की रफ्तार धीमी पड़ सकती है।

GST सुधार क्या हैं और क्यों ज़रूरी माने जा रहे हैं?

भारत सरकार का मकसद GST सिस्टम को सरल बनाना है। वर्तमान में कई तरह के स्लैब मौजूद हैं, जिनमें 5%, 12%, 18% और 28% शामिल हैं। इनको घटाकर सिर्फ 5% और 18% किया जाना प्रस्तावित है। सरकार का मानना है कि इससे टैक्स स्ट्रक्चर आसान होगा और व्यापारियों व ग्राहकों दोनों को फायदा मिलेगा।

मुख्य बिंदु:

  • 12% और 28% स्लैब हटाए जाएंगे
  • छोटी कारों को 18% स्लैब में रखा जाएगा (पहले 28% था)
  • बड़ी कारों पर 40% की नई दर लागू हो सकती है (सेस हटाकर)

इस सुधार से जहां छोटी कारें करीब 8% तक सस्ती होंगी, वहीं बड़ी कारों की कीमतों में भी 3-5% की कमी आ सकती है।

इलेक्ट्रिक वाहनों पर संभावित असर

इलेक्ट्रिक वाहनों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे पर्यावरण के अनुकूल हैं और सरकार ने अब तक इन्हें सस्ता बनाने के लिए कई सब्सिडी और टैक्स राहत दी है। वर्तमान में EV पर टैक्स सिर्फ 5% है, जबकि पेट्रोल-डीजल गाड़ियों पर 28% तक टैक्स लगता है।

लेकिन जैसे ही पेट्रोल और डीजल कारें सस्ती होंगी, उपभोक्ताओं को EVs खरीदने में उतना आर्थिक लाभ महसूस नहीं होगा। यानी, EV और पारंपरिक कारों के बीच जो मूल्य का अंतर है, वह घट सकता है। इससे EV कंपनियों की बिक्री पर दबाव आ सकता है।

HSBC रिपोर्ट में जताई गई चिंता

HSBC इन्वेस्टमेंट रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि छोटी कारों पर टैक्स कटौती से EV इंडस्ट्री को नुकसान हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार,:

  • EVs का प्राइस एडवांटेज घटेगा
  • पेट्रोल-डीजल कारों की बिक्री बढ़ेगी
  • EV सेक्टर की ग्रोथ धीमी होगी

हालांकि, इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और पारंपरिक ऑटो सेक्टर को गति मिलेगी।

सरकार के सामने तीन संभावित स्थिति

1. केवल छोटी गाड़ियों पर टैक्स कटौती

अगर सरकार सिर्फ छोटी कारों पर GST को 28% से घटाकर 18% करती है, तो इसका सीधा फायदा घरेलू कंपनियों और टू-व्हीलर निर्माताओं को होगा। लेकिन सरकार को लगभग 4-5 अरब डॉलर का राजस्व नुकसान उठाना पड़ सकता है।

2. सभी गाड़ियों पर टैक्स कटौती (सेस जारी रहे)

यदि सभी वाहनों पर GST दर घटाकर 18% कर दी जाती है लेकिन सेस जारी रहता है, तो गाड़ियों की कीमत 6-8% तक कम होगी। हालांकि, इसमें सरकार को लगभग 5-6 अरब डॉलर का नुकसान होगा। इस स्थिति में EVs का दाम वाला फायदा घटेगा।

3. GST कटौती और सेस हटाना

यह सबसे कम संभावित विकल्प है। अगर सरकार टैक्स दर घटाने के साथ-साथ सेस भी हटा देती है, तो टैक्स सिस्टम सरल हो जाएगा। लेकिन इसका नतीजा यह होगा कि सरकार को ऑटो सेक्टर से मिलने वाली जीएसटी की आधी कमाई का नुकसान उठाना पड़ेगा।

क्या सस्ती पेट्रोल-डीजल कारें EV को रोक देंगी?

भारत जैसे देश में जहां मिडिल क्लास की आबादी ज्यादा है, वाहन खरीदते समय कीमत सबसे बड़ा फैक्टर होता है। EVs अब तक महंगी मानी जाती थीं, लेकिन टैक्स राहत और कम ऑपरेटिंग कॉस्ट के कारण लोग इन्हें अपनाने लगे थे। यदि पेट्रोल और डीजल कारें अचानक सस्ती हो गईं, तो उपभोक्ता तुरंत EV की बजाय पारंपरिक गाड़ियों की ओर लौट सकते हैं।

रोजगार और इंडस्ट्री पर असर

पेट्रोल और डीजल कारों की बढ़ती मांग से:

  • ऑटो सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
  • घरेलू कंपनियों को फायदा होगा
  • लेकिन EV स्टार्टअप्स और नई कंपनियों के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है

EV इंडस्ट्री के सामने चुनौतियां

  1. चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी – अभी भी चार्जिंग स्टेशन सीमित हैं।
  2. बैटरी लागत ज्यादा – EV की सबसे महंगी पार्ट बैटरी है, जिसकी कीमत कम नहीं हो रही।
  3. उपभोक्ता भरोसा – लोग अभी भी लंबी दूरी और चार्जिंग टाइम को लेकर आश्वस्त नहीं हैं।

यदि पेट्रोल-डीजल कारें सस्ती हो जाती हैं, तो ये चुनौतियां EV इंडस्ट्री के लिए और गंभीर हो जाएंगी।

EVs को बचाने के लिए क्या हो सकता है?

  • सरकार EVs पर सब्सिडी और टैक्स छूट जारी रखे।
  • चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विस्तार हो।
  • बैटरी तकनीक में सुधार करके लागत घटाई जाए।
  • उपभोक्ताओं को EV खरीदने पर अतिरिक्त इंसेंटिव दिए जाएं।

निष्कर्ष

GST सुधारों से जहां आम उपभोक्ता और पारंपरिक कार निर्माता खुश हो सकते हैं, वहीं इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए यह खबर थोड़ी चिंताजनक है। EVs का जो प्राइस एडवांटेज था, वह खत्म हो सकता है और उनकी मांग धीमी पड़ सकती है। हालांकि, यह भी सच है कि भारत का भविष्य हरित ऊर्जा और EVs में ही है। ऐसे में सरकार को टैक्स सुधार और EV पॉलिसी के बीच संतुलन बनाना होगा।

Prince Kumar

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