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दवाएं और मेडिकल उपकरण होंगे सस्ते: जीएसटी रेट कट के बाद सरकार का बड़ा कदम

On: September 13, 2025 2:41 PM
Pills, capsules, blister pack, and stethoscope on blue background

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत लंबे समय से मरीजों और उनके परिवारों के लिए चिंता का विषय रही है। जब दवाओं और मेडिकल उपकरणों की कीमतें बढ़ती हैं तो इसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ता है। हाल ही में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस बोझ को कम करने के लिए अहम फैसले लिए गए हैं। सरकार ने दवाओं और मेडिकल डिवाइसों की कीमतों में कटौती का रास्ता साफ किया है, जिससे लाखों लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि जीएसटी दरों में हुए बदलाव से मरीजों, उपभोक्ताओं और हेल्थकेयर सेक्टर को क्या-क्या फायदे मिलेंगे।

जीएसटी काउंसिल की बैठक में हुआ बड़ा बदलाव

3 सितंबर 2025 को हुई 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर ऐतिहासिक फैसले लिए गए। इस बैठक में यह तय किया गया कि कुछ आवश्यक दवाओं पर जीएसटी को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। यानी अब मरीजों को उन दवाओं पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। इसके अलावा, मेडिकल डिवाइस और स्वास्थ्य से जुड़े कई उत्पादों पर भी टैक्स में कटौती की गई है।

33 जेनरिक दवाओं पर टैक्स खत्म

काउंसिल ने यह घोषणा की कि करीब 33 जेनरिक दवाएं अब टैक्स फ्री होंगी। पहले इन पर 5% जीएसटी लगता था, लेकिन अब शून्य कर दिया गया है। इन दवाओं में वे दवाएं शामिल हैं जो गंभीर बीमारियों और लंबे इलाज के दौरान उपयोग की जाती हैं। टैक्स हटने से इन दवाओं की कीमतों में सीधी गिरावट आएगी और मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।

मेडिकल उपकरणों की कीमतों में कटौती

सरकार ने मेडिकल उपकरणों पर लगने वाले टैक्स में भी कमी की है। उदाहरण के लिए—

  • वैडिंग, पट्टियां और ड्रेसिंग प्रोडक्ट्स पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
  • एडहेसिव प्लास्टर और अन्य मेडिकल डिवाइस जो अस्पतालों और क्लीनिकों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होते हैं, अब सस्ते दाम पर उपलब्ध होंगे।

इस फैसले से न केवल मरीजों का इलाज सस्ता होगा, बल्कि छोटे क्लीनिक और नर्सिंग होम भी कम लागत पर सुविधाएं मुहैया करा सकेंगे।

रोजमर्रा के हेल्थ और पर्सनल केयर उत्पाद भी होंगे सस्ते

सरकार ने सिर्फ दवाओं और मेडिकल डिवाइस तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि रोजाना इस्तेमाल होने वाले कई पर्सनल केयर उत्पादों पर भी टैक्स घटाया है।

  • पहले टैल्कम पाउडर, हेयर ऑयल, शैम्पू, टूथपेस्ट, शेविंग क्रीम और साबुन जैसे उत्पादों पर 18% टैक्स लगता था।
  • अब इन पर टैक्स घटाकर सिर्फ 5% कर दिया गया है।

इससे हर घर की मासिक बजट में बचत होगी और उपभोक्ताओं को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा।

सरकार का उद्देश्य और रणनीति

केंद्र सरकार का मकसद साफ है—जनता तक जीएसटी में कटौती का लाभ सीधे पहुंचाना। इसके लिए:

  • दवा कंपनियों को आदेश दिया गया है कि वे अपनी नई प्राइस लिस्ट तैयार करें और अपडेटेड MRP को लागू करें।
  • मार्केट में मौजूद पुराने स्टॉक को वापस लेने या री-लेबल करने की जरूरत नहीं होगी, जब तक कि नई दरें रिटेल लेवल पर लागू हो रही हों।
  • रेगुलेटरी अथॉरिटीज कंपनियों और रिटेलर्स से लगातार संपर्क में रहेंगी ताकि नई कीमतें सही समय पर लागू की जा सकें।

आम जनता को कैसे मिलेगा फायदा?

यह कदम सीधा-सीधा आम जनता के हित में है।

  1. मरीजों को दवाएं सस्ती मिलेंगी।
  2. ऑपरेशन और उपचार में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की कीमत घटेगी।
  3. घर में इस्तेमाल होने वाले उत्पादों पर भी खर्च कम होगा।

यह सब मिलकर मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए बड़ी राहत साबित होगा।

उद्योग और बाजार पर असर

फार्मा कंपनियों और मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री को अपनी प्राइस स्ट्रेटजी दोबारा तय करनी होगी। हालांकि, शुरुआती समय में कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा, लेकिन लंबे समय में इससे उनका ग्राहक आधार मजबूत होगा। सस्ती दवाएं और उपकरण मिलने से बिक्री बढ़ेगी और कंपनियों की मार्केट पहुंच भी ज्यादा होगी।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि

भारत पहले से ही दुनिया में सस्ती जेनेरिक दवाएं सप्लाई करने वाला प्रमुख देश है। टैक्स में यह कटौती भारत की छवि को और मजबूत करेगी। इससे भारत न केवल घरेलू स्तर पर, बल्कि वैश्विक फार्मा मार्केट में भी प्रतिस्पर्धी बनेगा।

चुनौतियां भी हैं सामने

हालांकि फैसले सकारात्मक हैं, लेकिन कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं:

  • कंपनियों को नई कीमतें लागू करने में समय और संसाधन खर्च होंगे।
  • टैक्स घटने के बाद मुनाफे का मार्जिन कम होगा, जिसे संतुलित करना जरूरी है।
  • यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जीएसटी कटौती का लाभ बीच में कहीं अटक न जाए और सीधे ग्राहकों तक पहुंचे।

निष्कर्ष

जीएसटी दरों में यह कटौती भारत की स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ता और सुलभ बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। इससे मरीजों, उपभोक्ताओं और हेल्थकेयर इंडस्ट्री—सभी को फायदा मिलेगा। सरकार ने साफ कर दिया है कि इसका लाभ हर हाल में जनता तक पहुंचना चाहिए। आने वाले समय में यह फैसला भारत के हेल्थ सेक्टर को और मजबूत करेगा और गरीब से गरीब व्यक्ति को भी बेहतर इलाज उपलब्ध कराने में मदद करेगा।

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Prince Kumar

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