भारत में सोने को हमेशा से सुरक्षित और लाभकारी निवेश माना गया है। परंपरागत रूप से लोग सोना खरीदकर घर में रखते थे, लेकिन समय के साथ सरकार और आरबीआई ने एक ऐसा विकल्प दिया जिससे लोग बिना फिजिकल गोल्ड खरीदे ही उसमें निवेश कर सकते हैं। इस विकल्प का नाम है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) योजना। हाल ही में जारी आंकड़ों से यह साफ हो गया है कि इस स्कीम ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। खासतौर पर 2020-21 सीरीज-VI ने मात्र पांच साल में निवेशकों का पैसा दोगुने से भी ज्यादा कर दिया। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह योजना क्या है, कैसे काम करती है और इसमें निवेश करना क्यों फायदेमंद साबित हो सकता है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना क्या है?
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) भारत सरकार की ओर से जारी एक निवेश योजना है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मैनेज करता है। इसमें निवेशक सोने को भौतिक रूप में खरीदने के बजाय डिजिटल या पेपर फॉर्म में रखते हैं। निवेश की गई राशि सोने की कीमत से जुड़ी होती है और निवेशक को सोने के भाव बढ़ने का सीधा लाभ मिलता है।
- यह बॉन्ड डिमैट अकाउंट में रखा जा सकता है।
- इसे शेयरों की तरह खरीदा और बेचा जा सकता है।
- इस पर सालाना 2.5% का फिक्स्ड ब्याज भी मिलता है।
निवेशकों को मिलने वाले फायदे
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना कई तरह से निवेशकों के लिए लाभकारी है।
- उच्च रिटर्न – पिछले पांच साल के प्रदर्शन से साफ है कि यह बॉन्ड पारंपरिक निवेश विकल्पों की तुलना में अधिक रिटर्न दे रहा है।
- सुरक्षा – इसमें चोरी या नुकसान का खतरा नहीं रहता क्योंकि सोना भौतिक रूप में घर पर नहीं रखा जाता।
- ब्याज का लाभ – निवेशक को हर साल 2.5% निश्चित ब्याज मिलता है, जो सीधे बैंक खाते में जाता है।
- लोन की सुविधा – निवेशक इस बॉन्ड को गिरवी रखकर लोन भी ले सकते हैं।
- ट्रांसफरेबिलिटी – ये बॉन्ड दूसरे निवेशक को ट्रांसफर किए जा सकते हैं।
प्रीमैच्योर रिडेंप्शन का विकल्प
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की कुल अवधि 8 साल होती है। हालांकि, निवेशक चाहें तो पांच साल पूरे होने के बाद इसे प्रीमैच्योर रिडीम कर सकते हैं।
- RBI हर बॉन्ड सीरीज के लिए रिडेंप्शन प्राइस की घोषणा करता है।
- यह कीमत सोने की बाजार दर के औसत पर आधारित होती है।
- हाल ही में घोषित SGB 2020-21 सीरीज-VI का रिडेंप्शन प्राइस 10,610 रुपये प्रति यूनिट रखा गया।
2020-21 सीरीज-VI का प्रदर्शन
अगस्त 2020 में जारी इस सीरीज की कीमत 5,117 रुपये प्रति ग्राम थी। मात्र पांच साल बाद इसका प्रीमैच्योर रिडेंप्शन प्राइस 10,610 रुपये हो गया।
- कुल रिटर्न: 107% से अधिक
- पांच साल में निवेशकों का पैसा दोगुना से ज्यादा
- ब्याज को शामिल करने पर रिटर्न और भी आकर्षक हो जाता है।
रिडेंप्शन प्राइस की गणना कैसे होती है?
आरबीआई यह कीमत इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) द्वारा प्रकाशित सोने की दरों के आधार पर तय करता है।
- पिछले तीन कार्यदिवसों के सोने के क्लोजिंग प्राइस का औसत लिया जाता है।
- इसी औसत को रिडेंप्शन प्राइस के रूप में घोषित किया जाता है।
निवेशकों के लिए मुख्य सीख
- लंबी अवधि का निवेश – अगर निवेशक बॉन्ड को पूरा 8 साल तक होल्ड करते हैं, तो उन्हें न सिर्फ ब्याज का लाभ मिलता है, बल्कि पूंजीगत लाभ कर में भी छूट मिलती है।
- बाजार जोखिम – सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है, लेकिन दीर्घकाल में इसका रुझान आमतौर पर ऊपर की ओर रहा है।
- विविधता – निवेश पोर्टफोलियो में SGB जोड़ने से निवेशक अपने रिस्क को कम कर सकते हैं।
निष्कर्ष
आरबीआई की सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना उन निवेशकों के लिए बेहद लाभकारी है जो सोने में निवेश करना चाहते हैं लेकिन फिजिकल गोल्ड खरीदने के झंझट से बचना चाहते हैं। पिछले पांच साल का रिकॉर्ड बताता है कि इस स्कीम ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। निश्चित ब्याज, सुरक्षा और टैक्स लाभ जैसे फीचर्स इसे और भी आकर्षक बनाते हैं। आने वाले समय में सोने की कीमतों में और वृद्धि की संभावना को देखते हुए, यह योजना निवेशकों के लिए सुरक्षित और लाभकारी विकल्प साबित हो सकती है।
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