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क्यों भारतीय अब छोटी कारों से ज्यादा दमदार एसयूवी को चुन रहे हैं? जानिए चौंकाने वाले कारण

On: August 30, 2025 9:23 AM
Red hatchback and gray SUV side by side on road
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भारत का ऑटोमोबाइल बाजार हमेशा से तेजी से बदलता रहा है। कभी छोटी और किफायती हैचबैक कारें ही लोगों की पहली पसंद होती थीं। कम दाम, बेहतर माइलेज और आसान ड्राइविंग की वजह से हैचबैक लंबे समय तक भारतीय परिवारों की जरूरतों को पूरा करती रही। लेकिन अब हालात बदल गए हैं।

आजकल ग्राहक सिर्फ किफायत नहीं, बल्कि स्पेस, सुरक्षा और स्टाइल को भी अहमियत देने लगे हैं। यही कारण है कि कॉम्पैक्ट और मिड-साइज एसयूवी की डिमांड लगातार बढ़ रही है और हैचबैक का क्रेज धीरे-धीरे कम हो रहा है।

क्यों कम हो रही है हैचबैक की लोकप्रियता

बदलती जरूरतें

एक समय था जब हैचबैक कारें भारतीय मध्यमवर्ग के लिए सबसे भरोसेमंद विकल्प थीं। लेकिन परिवारों का आकार, यात्रा की आदतें और लोगों की पसंद समय के साथ बदल रही हैं। आज लोग लंबी यात्राओं और हाईवे ड्राइविंग के लिए ज्यादा आरामदायक और मजबूत गाड़ियों की तलाश में रहते हैं।

फीचर्स की कमी

हैचबैक कारें भले ही किफायती हों, लेकिन इनमें वह प्रीमियम फीचर्स और तकनीकें नहीं मिल पातीं जो एसयूवी में मौजूद होती हैं।

सेफ्टी का सवाल

आज ग्राहक सिर्फ माइलेज नहीं बल्कि सुरक्षा को भी प्राथमिकता देने लगे हैं। एसयूवी अपनी मजबूती और हाई ग्राउंड क्लीयरेंस की वजह से हैचबैक से ज्यादा सुरक्षित मानी जाती हैं।

एसयूवी की बढ़ती डिमांड

ज्यादा स्पेस और आराम

एसयूवी का सबसे बड़ा फायदा है इसका विशाल स्पेस। बड़े परिवारों के लिए यह आदर्श विकल्प बन चुकी हैं।

स्टाइल और स्टेटस सिंबल

आजकल गाड़ी सिर्फ आने-जाने का साधन नहीं, बल्कि स्टेटस सिंबल भी बन चुकी है। एसयूवी अपने डिजाइन और दमदार लुक्स की वजह से लोगों के आकर्षण का केंद्र बन रही हैं।

एडवांस टेक्नोलॉजी

नई एसयूवी में कंपनियां लगातार एडवांस फीचर्स जैसे कनेक्टेड कार टेक्नोलॉजी, एडवांस ड्राइविंग असिस्टेंस सिस्टम, डिजिटल डिस्प्ले और प्रीमियम इंटीरियर पेश कर रही हैं।

बिक्री के ताजा आंकड़े क्या कहते हैं

जुलाई 2025 के आंकड़े बताते हैं कि हैचबैक की बिक्री में गिरावट आई है, जबकि एसयूवी का ग्राफ ऊपर जा रहा है।

  • टाटा की टियागो और अल्ट्रोज की बिक्री घटी।
  • हुंडई i10 और i20 जैसे मॉडल भी कमजोर पड़े।
  • वहीं मारुति की वैगनआर और स्विफ्ट ने भले कुछ सुधार दिखाया हो, लेकिन अन्य मॉडल्स जैसे ऑल्टो, इग्निस और एस-प्रेसो पर बड़ा असर पड़ा।
  • दूसरी ओर एसयूवी मॉडल्स की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। चाहे वह कॉम्पैक्ट एसयूवी हों या मिड-साइज, ग्राहक इन्हें ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

कंपनियों की नई रणनीति

ऑटोमोबाइल कंपनियां भी ग्राहकों की इस बदलती पसंद को भांप चुकी हैं। यही वजह है कि लगभग हर बड़ी कंपनी अब एसयूवी सेगमेंट पर ज्यादा फोकस कर रही है। टाटा, हुंडई, महिंद्रा और मारुति जैसी कंपनियां लगातार नए मॉडल लॉन्च कर रही हैं और उनमें एडवांस फीचर्स जोड़ रही हैं।

इसके अलावा, ये कंपनियां ग्राहकों की बढ़ती मांग को देखते हुए इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड एसयूवी पर भी विशेष ध्यान दे रही हैं। मार्केटिंग और विज्ञापन अभियानों में भी अब एसयूवी को मुख्य आकर्षण बनाया जा रहा है। साथ ही, कंपनियां अलग-अलग प्राइस रेंज में विकल्प देकर यह सुनिश्चित कर रही हैं कि हर बजट का ग्राहक एसयूवी खरीद सके।

क्या हैचबैक का दौर खत्म हो जाएगा?

यह कहना पूरी तरह सही नहीं होगा कि हैचबैक का समय खत्म हो चुका है। छोटे शहरों, टियर-2 और टियर-3 मार्केट्स में बजट फ्रेंडली ग्राहकों के लिए यह अब भी एक बेहतर विकल्प बनी हुई हैं। पहली बार कार खरीदने वाले लोग अक्सर इन्हीं पर ध्यान देते हैं क्योंकि इनकी कीमत कम होती है, माइलेज अच्छा होता है और इन्हें शहरों की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर चलाना आसान होता है।

हालांकि, यह साफ दिखाई देता है कि आने वाले समय में हैचबैक की पकड़ कमजोर होगी और एसयूवी धीरे-धीरे शहरी और ग्रामीण दोनों बाजारों पर राज करेंगी।

सरकार और टैक्स पॉलिसी का असर

भारत में छोटी कारों पर अपेक्षाकृत कम जीएसटी लगता है। यदि सरकार इस टैक्स को और घटाती है, तो संभव है कि हैचबैक की बिक्री को थोड़ी राहत मिले। साथ ही, सब्सिडी या इंसेंटिव स्कीम जैसी सरकारी योजनाएं भी इस सेगमेंट की मदद कर सकती हैं। हालांकि, फिलहाल ग्राहकों का झुकाव एसयूवी की तरफ ज्यादा है।

लोग मानते हैं कि एसयूवी न सिर्फ ज्यादा आराम और सुरक्षा देती हैं बल्कि खराब सड़कों और लंबी यात्राओं में भी बेहतर साबित होती हैं। यही कारण है कि इस बदलते रुझान को बदलना फिलहाल मुश्किल दिखाई देता है।

भविष्य की तस्वीर

भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर में आने वाले समय में एसयूवी का दबदबा और भी अधिक बढ़ने की संभावना है। शहरों और ग्रामीण इलाकों दोनों में एसयूवी की मांग तेजी से बढ़ रही है क्योंकि ये हर तरह के रास्तों पर बेहतर परफॉर्म करती हैं। इलेक्ट्रिक एसयूवी का लॉन्च भी इस ट्रेंड को मजबूती देगा, क्योंकि लोग अब पर्यावरण और फ्यूल की बढ़ती लागत को लेकर ज्यादा जागरूक हो रहे हैं।

आने वाले वर्षों में कंपनियां हाइब्रिड और पूरी तरह इलेक्ट्रिक एसयूवी पर खास फोकस करेंगी। वहीं, हैचबैक धीरे-धीरे सिर्फ उन ग्राहकों की जरूरत पूरी करेंगी जो किफायती बजट और माइलेज को सबसे बड़ी प्राथमिकता मानते हैं, खासकर छोटे शहरों और पहली बार गाड़ी खरीदने वालों के बीच।

निष्कर्ष

भारत का कार बाजार अब पूरी तरह बदल चुका है। जहां कभी छोटी कारें लोगों की पहली पसंद थीं, वहीं अब बड़ी और दमदार एसयूवी ने उनकी जगह ले ली है। ग्राहकों की बदलती प्राथमिकताएं, सुरक्षा को लेकर जागरूकता और एडवांस फीचर्स की चाह इस बदलाव के पीछे की मुख्य वजह हैं। आने वाले वर्षों में यह ट्रेंड और मजबूत होता दिख रहा है।

Prince Kumar

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