भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है। जहां एक तरफ सरकार स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम करने की दिशा में काम कर रही है, वहीं दूसरी ओर टैक्स संरचना को लेकर नई चर्चाएं सामने आ रही हैं। हाल ही में यह खबर आई है कि सरकार महंगी ईवी कारों पर जीएसटी (GST) दरों में बदलाव कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो लग्जरी इलेक्ट्रिक कारें पहले से कहीं ज्यादा महंगी हो सकती हैं।
भारत का ईवी बाजार: तेजी से बढ़ता लेकिन अभी छोटा
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग लगातार बढ़ रही है। हालांकि, कुल ऑटोमोबाइल बाजार की तुलना में ईवी का हिस्सा अभी भी छोटा है। अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच देश में बिकने वाली कुल कारों में ईवी का हिस्सा केवल 5% रहा, लेकिन इस दौरान ईवी की बिक्री 93% की बढ़त के साथ 15,500 यूनिट्स तक पहुंच गई। यह आंकड़े साफ दिखाते हैं कि आने वाले समय में भारतीय बाजार में ईवी की पकड़ और मजबूत होगी।
जीएसटी में संभावित बदलाव: क्या हो सकते हैं असर?
वर्तमान में इलेक्ट्रिक कारों पर केवल 5% जीएसटी लागू होता है। यही वजह है कि उपभोक्ताओं के लिए यह गाड़ियां तुलनात्मक रूप से किफायती लगती हैं। लेकिन टैक्स पैनल ने सुझाव दिया है कि:
- 40 लाख रुपए से कम कीमत वाली ईवी पर जीएसटी 18% किया जाए।
- 40 लाख रुपए से अधिक कीमत वाली ईवी पर 28% जीएसटी लगाया जाए।
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है तो:
- 40 लाख की ईवी कार पर 7 लाख से अधिक की कीमत बढ़ सकती है।
- वहीं 50 लाख की लग्जरी ईवी पर करीब 14 लाख तक का बोझ बढ़ सकता है।
घरेलू कंपनियों पर असर
भारत की घरेलू कंपनियां जैसे टाटा मोटर्स और महिंद्रा मुख्य रूप से मिड-रेंज और बजट फ्रेंडली ईवी कारें बनाती हैं। इनकी ज्यादातर गाड़ियां 20 लाख रुपए से कम कीमत की हैं। ऐसे में जीएसटी दरें बढ़ने पर भी इन कंपनियों की बिक्री पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा। बल्कि, यह विदेशी कंपनियों के मुकाबले इनकी स्थिति को और मजबूत कर सकता है।
विदेशी कंपनियों के लिए चुनौती
विदेशी ऑटोमोबाइल ब्रांड जैसे टेस्ला, मर्सिडीज-बेंज, BMW और BYD लग्जरी इलेक्ट्रिक कारों पर ज्यादा फोकस करते हैं। इनकी गाड़ियां अधिकतर 40 लाख से ऊपर की कीमत में आती हैं। उदाहरण के लिए:
- टेस्ला Model Y की शुरुआती कीमत भारत में करीब 59.89 लाख रुपए है।
- मर्सिडीज और BMW की ईवी भी इसी प्राइस रेंज में आती हैं।
अगर जीएसटी 28% तक बढ़ा दिया जाता है, तो इन कंपनियों की गाड़ियों की कीमतों में लाखों का इजाफा हो जाएगा। इससे भारतीय बाजार में उनकी पकड़ कमजोर हो सकती है।
जीएसटी काउंसिल की भूमिका
इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय GST काउंसिल लेगी, जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री करते हैं। इस काउंसिल में सभी राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं। 3 और 4 सितंबर 2025 को होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। काउंसिल का निर्णय यह तय करेगा कि भारतीय बाजार में ईवी का भविष्य किस दिशा में जाएगा।
मार्केट शेयर: कौन है आगे?
जुलाई 2025 तक भारतीय ईवी बाजार की स्थिति इस प्रकार है:
- टाटा मोटर्स – 40% मार्केट शेयर
- महिंद्रा – 18% मार्केट शेयर
- BYD – 3% मार्केट शेयर
- मर्सिडीज और BMW – मिलाकर केवल 2% मार्केट शेयर
इससे साफ है कि भारतीय उपभोक्ता अभी भी घरेलू कंपनियों पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। विदेशी कंपनियों को यहां टिकने के लिए और ज्यादा आक्रामक रणनीति अपनानी होगी।
उपभोक्ताओं के लिए क्या मायने रखेगा यह बदलाव?
अगर जीएसटी दरें बढ़ीं तो उपभोक्ताओं पर सीधा असर पड़ेगा:
- बजट सेगमेंट ईवी पर कीमतों का बढ़ना सीमित रहेगा।
- लग्जरी ईवी गाड़ियां आम खरीदार की पहुंच से बाहर हो सकती हैं।
- ग्राहकों के लिए घरेलू कंपनियों के मॉडल और भी आकर्षक बन जाएंगे।
सरकार की मंशा: राजस्व या पर्यावरण?
जब इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5% टैक्स लगाया गया था तो उद्देश्य यह था कि लोग ज्यादा से ज्यादा ईवी अपनाएं और प्रदूषण घटे। लेकिन अब सरकार के सामने दो चुनौतियां हैं:
- राजस्व बढ़ाना – महंगी गाड़ियों पर ज्यादा टैक्स लगाकर सरकारी खजाने को मजबूत करना।
- पर्यावरण बचाना – ईवी अपनाने की गति को तेज करना।
यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किस संतुलन को प्राथमिकता देती है।
निष्कर्ष
भारत का ईवी बाजार अभी शुरुआती दौर में है लेकिन तेजी से आगे बढ़ रहा है। अगर जीएसटी दरें बढ़ती हैं तो लग्जरी ईवी पर निश्चित रूप से बड़ा असर पड़ेगा, जबकि घरेलू कंपनियां अपेक्षाकृत सुरक्षित रहेंगी। उपभोक्ताओं के लिए यह फैसला उनके बजट और पसंद को प्रभावित करेगा। अब सबकी निगाहें जीएसटी काउंसिल की बैठक पर टिकी हैं, जो तय करेगी कि आने वाले सालों में भारत का ईवी बाजार किस दिशा में जाएगा।
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