रिटायरमेंट और पेंशन का विषय हमेशा से ही कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए चिंता और जिज्ञासा का विषय रहा है। जब कोई कर्मचारी सेवानिवृत्त होता है या दुर्भाग्यवश उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए पेंशन या फैमिली पेंशन का प्रावधान होता है। लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या इस पेंशन या फैमिली पेंशन पर टैक्स देना जरूरी है? आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
फैमिली पेंशन पर टैक्स का प्रावधान
अगर किसी कर्मचारी का निधन हो जाता है और उसके जीवनसाथी को फैमिली पेंशन मिलती है, तो यह आय अन्य स्रोतों से आय (Income from Other Sources) के अंतर्गत मानी जाती है। इसका मतलब है कि जीवनसाथी को मिलने वाली फैमिली पेंशन पूरी तरह से आयकर के दायरे में आती है। हालांकि, टैक्स की गणना करते समय इनकम टैक्स एक्ट के नियमों के अनुसार कुछ छूट और कटौतियां भी उपलब्ध हो सकती हैं।
रिटायरमेंट के बाद निकासी के नियम
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के तहत सब्सक्राइबर रिटायरमेंट या सुपरऐन्यूएशन के समय अपनी कॉर्पस राशि का एक बड़ा हिस्सा निकाल सकता है। सामान्यतः यह सीमा कुल कॉर्पस का 60% होती है। इस निकासी में से एक निश्चित सीमा तक की राशि टैक्स-फ्री मानी जाती है।
इसके अलावा, सेवा अवधि के दौरान भी कर्मचारी को आंशिक निकासी की सुविधा दी जाती है। नियमों के अनुसार, अपने स्वयं के योगदान का 25% तक बिना टैक्स चुकाए निकाला जा सकता है। यह छूट इनकम टैक्स एक्ट की धारा 10(128) के तहत मिलती है।
मासिक पेंशन पर टैक्स
रिटायरमेंट के बाद जब सब्सक्राइबर को मासिक पेंशन मिलती है, तो इसे सैलरी इनकम माना जाता है। यानी जिस तरह सैलरी पर टैक्स लगता है, उसी तरह मासिक पेंशन पर भी टैक्स देना अनिवार्य होता है। हालांकि, रिटायरमेंट के समय निकाली गई 60% राशि टैक्स-फ्री रहती है (धारा 10(12AA) के अंतर्गत)।
उदाहरण से समझें
मान लीजिए किसी कर्मचारी का मासिक वेतन 3 लाख रुपये था और उसने 25 साल तक नौकरी की। उसकी पेंशन कॉर्पस राशि 2 करोड़ रुपये है, जबकि बेंचमार्क कॉर्पस 1.80 करोड़ रुपये है।
- बेंचमार्क कॉर्पस का 60% यानी 1.08 करोड़ रुपये टैक्स-फ्री होंगे।
- अतिरिक्त कॉर्पस 20 लाख रुपये है, जिसमें से 60% यानी 12 लाख रुपये टैक्स-फ्री होंगे, जबकि बाकी 8 लाख रुपये टैक्स योग्य होंगे।
- शेष 40% कॉर्पस (72 लाख रुपये) पेंशन फंड में ट्रांसफर होगा और उस पर तत्काल टैक्स नहीं लगेगा।
निष्कर्ष
पेंशन और फैमिली पेंशन, दोनों ही कर्मचारियों और उनके परिवार के लिए सुरक्षा का बड़ा साधन हैं। लेकिन यह समझना जरूरी है कि इन पर टैक्स नियम कैसे लागू होते हैं। जहां फैमिली पेंशन अन्य स्रोतों से आय के अंतर्गत आती है, वहीं रिटायरमेंट पर मिलने वाली पेंशन को सैलरी इनकम माना जाता है। टैक्स की योजना बनाते समय इन नियमों की जानकारी होने से कर्मचारी और उनके परिजन अपने वित्तीय भविष्य को बेहतर तरीके से सुरक्षित कर सकते हैं।
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